...so Bihari! |
By Dr Rashi Verma |
November 8, 2011 "...so Bihari!", this is a common phrase that I have used in the past when I have heard people with a particular style of talking. Oh! Before you make any conclusions that this article is written to demean any Bihari...its not! I am a Bihari and proud to be one. So now you must be thinking its one of those articles written by a Bihari to tell the world that Bihar is not as bad as people think it to be. The good and bad is everywhere. It is for the people to decide what they want to see and believe. I certainly don't wish to enlighten the people about the rich Bihari culture. "Then what is this all about?" - you must be wondering if you belong to that category of people who are jobless and have nothing better to do than sit in front of the computer and read every piece of thing that can be read. (P S - I belong to this category too.) I am from Jamshedpur and if your general knowledge is ok, you know that it is now a part of Jharkhand. But I speak and I speak of undivided Bihar. It gets divided for me only when I say, "you know, Dhoni is from my state!" I grew up learning to say "hum" instead of "main" ;"bhook lagta hai" instead of " bhook lagti hai" ;"neend aa raha hai" instead of "neend aa rahi hai" etc. Is it wrong? Yes, it is if you are from some other state! I realised this only when I moved into a new state and met people from all over India. Many people told me that I didn't talk like a Bihari. Should I thank my convent education for that?! Who cares! But many a times whenever I said "hum" they asked me "tum aur?". Initially it was funny but later it became irritating. A few of them were sweet enough to say we like the way you talk. But a few of them even after so many years make it a point to remind me "its main and not hum". Well for them, like I have always told them "hum bakri ke jaisa main main nahi kar sakte!!" But doesn't that make me have a Bihari style of talking too...a style that I have ridiculed other Biharis to have. Maybe yes or maybe not. I still don't know! India is so divided at times. Why is it that we believe people to be like this or like that just because they belong to a particular state? l wish to believe that this judgemental nature is a thing of the past and that we are moving forwards in time and not backwards. After all, its all about WE, THE PEOPLE OF INDIA! So, I hope the next time I crack a joke on Punjabis or someone tells a Bihari "tum aur?" take it with a grain of salt and lots of sugar because at the end of the day we are all Indians! And I am proud to be an INDIAN!! ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------- News With different views Baikunth Bihari Baithe Ji (BQ), बिहारी का चौपाल !! Patna, November 7, 2011 हम बिहारी बानी भाई ! पैदैशी बिहारी बाप बिहारी माँ बिहारी मेहरारू और बचवो भी बिहारी है ! अब का तोरा कहला से की ऐ बिहारी हम रोवे लागी ! अब्बे घंतोलवा अगर कोई के नाम ले के ओकरा बोलैबे तो बुरा कहे लगे गा ! अब हम किसी को कलकतिया किसी को मुम्बैया और दिल्ली वाला कहते हैं न ता का हो जाता है ! हमको अछा लगता है जब हमको कोई आदमी कहता है की तुम बिहारी हो ! हम तो फट सेनी कहते हैं हाँ ससूर के नाती ठीक पहचाना ! बात इतना ही है की अपनी बोली अपनी धरती भूलके कौन क्या पा लिहिस है ससुर के नाती ! हमारा भी इतिहास बहुत गौरवपूर्ण रहा है राजेंदर बाबा से लेके धोनी बाबा सब ता अपने हियाँ के हैं ! केतना बड़ा बड़ा लोग टाटा और सत्रुघन सिन्हा जैसा हमारे यहाँ से हुआ ! अब इ सब बात पे गर्व करे के बदली एकाध गो सदल बैगन गिनता है कुछ मेट्रो वाला लोग ! हमको नहीं बनना भैया बड़ा सहर हम गंवार ही ठीक हैं ! पता नहीं अगर हमारे यहाँ के लोग बहार जाके और बड़े सहरों में ना काम करते तो कैसे उनका काम चलता ! इ जो हटकल राज ठाकरिया है इ बहुत छीटखोपड़ी है ससुरा बिहार यूपी वाले लोग को मार मार के जीना मुश्किल करता है ! हम इ जाना चाहते हैं अब्बे साले अगर इ छोटा भैया लोग तुम्हारा गाड़ी नहीं चलाएगा बर्तन नहीं धोएगा दूध नहीं लाएगा स्क़ब्जी नहीं बेचेगा सड़क माकन और पता नहीं क्या क्या नहीं बनाएगा तो इ सब काम का तुम्हारे चाचा जी करेंगे! वैसे भी उ बुधव तो सथियेले रहता है ! अरे इ बुरबक जनता को बेवकूफ बनके अपना पार्टी खड़ा कर लिहिस ! चुनाव भी जीत लिया और इ लोगों को बता के की सब दुःख तकलीफ बूम धमाका इ भैया लोग के चल्त्ये होइता है ! केंद्र के सर्कार हर बात पाकिस्तान पे थोप देती है ! बिपक्ष हर बात सर्कार पे थोप देती है ! राज्य सर्कार दुसरे राज्य से आये हुवे हलकट लोग पे ! अरे इ पुब्लिक्वा के बेवकूफ कब तक बनेबा बेटा ! कुछ लोग तो और नमूना है इनको बुरा लगता है की इनको कोई बिहारी कहे, अरे भैया आज अपने गाँव और सहर के कहलाने से बुरा मानोगे ता कल अपने बाप के बेटा भी कहलाना नहीं चाहोगे ?? ऊपर वाले लेख में डोक्टर साहिबा भगवन भला करे उनका राशी जी बहुत सही लिख्खिं है ! अरे हम लोग को तो बचपन से आदत हैं अपना आप के #हम कहे के अब मैं मैं तो हमर बकरियों कर लेवे है ! हाहाहा , बेटा घासलेतू इतना जान लो अपना देश अपना ही होता है ! ओने मिश्र बाबा अरे नमन मिश्र इएगो शेर लिखीं थे उ ऐसे था की जब भी होते हो लबरेज़ मिट्टी की खुसबू से जाने क्यों खुद में डूब जाते हो नमन, घर क्यों नहीं आते हो नमन !! वैसे हम लोगों में ही फाल्ट है पढाई लिखाई तो करते नहीं हैं ओउर सपनवा देखेंगे मुंगेरी लाल ओला ! पैसा कमावे के चक्कर में दूसरा स्टेट सब में जाके और लुंगी धोती पहिन के चार रुपया ओला सेंत लगा के हुआं भी बेरोज़गारी करते हैं ! अरे भैया जाओ कमाओ इस देश का इही तो नियम है जो इंसान चाहे कहीं भी कमा खा सकता है! दुसरे के संस्कार का रेस्पेक्ट करो और फिर भी कोई साला तंग करे तो कपार फोड़ के उ ससुरा के गावें भाग के आजाओ ! चलो अब बहुत काम है तुम लोग फ्री फुंद में हमसे ज्ञान लेते हो और घंटा टाइम ख़राब होता है हमारा ! जज रहे हैं आज पंडी जी के हियाँ ही भोज है ! बहुत कम ऐसा मौका मिलता है दबा के खाना है आज तो ........ हेहेहेहेहेहेहे ! |
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NumaN Mishra: Ever since my childhood Word-Play has always amazed me. The Knitted use of Words has always enlightened a sense of achievement in me. Now That I have established myself as a Industry Endorsed Software Professional. With the innate quality of writing, which is the core essence of any journal, I think it’s time to pursue the Dream I have always cherished; A poet who carves Sketches in pages of time, A Novelist Who portrays Pictures through his words, A columnist in the Most Prestigious monthly (The National Geographic Magazine). I really don't have anything to do with the idiot below me aka BQ. I don't take any responsibility of any statements of Baikunth Bihari Baithe.
Baikunth Bihari Baithe Ji (BQ): A learned from the Bhojpur district who in his own words is as unemployed as Lalu Prasad in Sushashan. He specializes in giving personal remarks on politicians and expert suggestions in political issues. He also has an uncanny knack of climbing trees, grazing goats, cutting hey and his hobby is pretending to read newspapers but only upside-down. Hum upar wale Pandi ji aka Patrakar baba aka Numan Mishra ke kalpanik sahyogi hain. Haan ye baat hai ki hum unki tarah graduate nahin hain, magar unse kahin zyada samajhdaar aur funnyyy hain. Hamari angrezi ka Mazak udane se pehle apne daant gin lijiyega. hihihihi.
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